भाजपा क्यों झारखंड हार गई और Maharashtra जीत गई

Maharashtra and Jharkhand 2024 election का नतीजा 23 नवंबर 2024 को जारी कर दिया गया है और दोनों ही राज्य के election रिजल्ट नीचे विस्तार से बताए गये है।भाजपा Maharashtra में जीत गई और झारखंड में हार गई

पिछली बार 2019 के Maharashtra election result के बात करें तो महाराष्ट्र ने 3 मुख्यमंत्री एक ही कार्यकाल में देखा है। पहिले भाजपा के देवेंद्र फड़नविश, दूसरे शिवसेना (UBT) के उद्धव ठाकरे और तीसरे शिवसेना (नया शिवसेना ) के एकनाथ शिंदे। वही झारखंड में पिछले election result के बाद JMM (jharkhand Mukti Morcha) ने हेमंत सोरेन के नेतृत्व में पूरे पाँच साल तक रूलिंग बनी रही। भाजपा ने महाराष्ट्र में लगातार अभी तीसरी बार जीत दर्ज की है वही झारखंड में दूसरी बार सत्ता से दूर रह गई है। 

भाजपा 2014 के बाद से ही महाराष्ट्र में मज़बूत पार्टी बनती चली गई है और इस बार भी भाजपा ने पहिले से बेहतर प्रदर्शन किया है। 2014 के बाद भाजपा की पार्टी Maharashtra और Jharkhand दोनों ही रहती में सबसे बड़ी पार्टी बन कर आगे आयी है लेकिन Maharashtra में अब बहुत बड़ी पार्टी बन गई है।  

भाजपा का प्रदर्शन कैसा रहा दोनों राज्यो में ?

झारखंड में भाजपा की हार

बता दें कि पिछली बार की तरह भाजपा इस बार भी Maharashtra Election result 2024 में 130 सीटों पर जीत कर सबसे बड़ी पार्टी बन गई है लेकिन Jharkhand election Result 2024 में भाजपा का प्रदर्शन काफ़ी ख़राब रहा। Jharkhand में जो लोकसभा का चुनाव हुआ था तब वहाँ कुल 14 सीटों में से एनडीए गठबंधन ने 09 सीटें जीत गई थी जिसके से भाजपा ने अकेले 8 सिट जीते थे। और JMM के «India» गठबंधन ने 5 सीटें जीत पाई थी। 

Jharkhand में हेमंत सोरेन के सामने कोई नहीं। 

JMM के hemant Soren जो की ‘इंडिया’ गढ़बंधन के एक बड़े चेहरे माने जाते है। भाजपा का हेमंत सोरेन के मुक़ाबले में Arjun Munda और Babulal Marandi बताए जाते है। 

भाजपा के झारखंड के ये दोनों चेहरों के बारे में जाने। 

अर्जुन मुंडा :- इन्होंने अपने जीवन की राजनीतिक शुरुआत JMM से शुरू की थी और कुछ समय के बाद भाजपा में आ गये थे। 

बाबूलाल मरांडी:- ये वर्तमान झारखंड के भाजपा अध्यक्ष है। जब झारखंड बिहार से अलग हुआ था तब वहाँ के पहिले मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी ही थे पर साल 2006 में भाजपा से अलग हो गये थे और इन्होंने अपना ख़ुद का पार्टी शुरू किया था जिसका नाम झारखंड विकास मोर्चा रखा था फिर फ़रवरी 2020 में वो फिर भाजपा के साथ जुड़ गये थे। 

भाजपा की चाल मुख्यमंत्री का चेहरा ना देना। 

बड़े बड़े पत्रकारो का कहना है की भाजपा का ये बहुत ही पुराना दाव है की जब भी कभी Election होता है तो भाजपा कभी भी अपना मुख्यमंत्री का चेहरा पहिले नहीं बताती है और इलेक्शन ख़त्म होने के बाद अपना मुख्यमंत्री बताती है। ऐसा बहुत सी जगहों पर भाजपा ने किया है। भाजपा केवल नरेंद्र मोदी के चेहरे के दुम पर हर जैग़म बिना मुख्यमंत्री की घुसना के ही election लड़ती है और जित भी जाती है।पत्रकारों का कहना है की भाकपा ने ‘Maharashtra में छत्तीसगढ़ में और राजस्थान में भी मुख्यमंत्री का चेहरा नहीं दिया था फिर भी वहाँ जीत गये और जितना के बाद दुनिया को अपने मुख्यमंत्री का चेहरा बताया था। 

भाजपा का ‘बांग्लादेश’ के घुसपैठियों का मुद्दा नहीं चला। 

जब लोकसभा के चुनावो के नतीजे आ गये थे उसके बाद भाजपा ने शिवराज सिंह चौहान को केंद्रीय कृषि मंत्री बनाया था और हिमंत बिस्वा शर्मा को सह प्रभारी बनाया था। सह प्रभारी बनने के तुरंत बाद हिमंत बिस्वा शर्मा ने झारखंड में ‘बांग्लादेश घुसपैठ’ का मुद्दा उठाया था। आगे चल कर भाजपा ने अपने बहुत से भाषनो में इंस्टेमल किया था। 

अमित शाह ने भाजपा की एक चुनावी रैली झारखंड में 20 सितंबर को कहा था की झारखंड के लोगो एक बार आप सरकार बदल कर देखिए मैं आपसे वड़ा करता ही की भाजपा की सरकार आने के बाद रोहिंगिया बांग्लादेशी घुसपैठियों को एक एक करके झारखंड के बाहर निकल देंगे। ये लोग भारत की संस्कृति को ख़राब कर रहे है और भारत की ज़मीनें कब्जा कर रहे है। 

अमित शाह की बात पर बांग्लादेश ने आपत्ति जताया था। 

झारखंड के आदिवासी और मुस्लिमों को इस बात का काफ़ी बुरा लगा था और उसी समय झारखंड के आदिवासी और मुस्लिमों के वोट JMM के ओर मज़बूत हो गये थे और आज तक वैसे ही है। झारखंड का एक बड़ा समूह बांग्लादेश के घुसपैठियों को निकालना ज़रूरी नहीं समझता है इसलिए भाजपा को ये मुद्दा उठाने से कोई फ़ायदा नहीं हुआ था। भाजपा की सरकार का कहना था कि अगर ये बांग्लादेशी घुसपैठिए ऐसे ही भारत में घुसते रहे तो बहुत जल्द ही भारत का डेमोग्राफि बदल जाएगा इसलिए भाजपा ने ‘रोटी, बेटी और माटी’ का नारा लगाया था। 

सितंबर 2024 में पीएम नरेंद्र मोदी जी की जमशेदपुर के एक रैली में मोदी जी ने कहा था की JMM वाली ने अपने राजनीतिक फ़ायदो के लिये मासूम आदिवासियों का इस्तेमाल किया है और अब ये लोग बांग्लादेशी घुसपैठियों के साथ काम कर रहे है। ये घुसपैठिए झारखंड के संथाल परगना और कोलकर क्षेत्र के लिए बहुत ही बड़ा ख़तरा है। बताया जाता है कि राज्य में सत्ता लेन की ताक़त झारखंड के सिर्फ़ 6 ज़िले है जो निर्धारित करते है और यह से जिसको ज़्यादा वोट मिलते है राज्य में उसकी ही पार्टी अपनी सरकार बनायी है। 

भाजपा को आदिवासियों का साथ नहीं मिला। 

इस बार जो चुनाव हुआ है उसने ज़्यादातर सीटों पर JMM ने जीत हासिल किया है और बहुत से जगहों पर जहां हर गई वहाँ पहिले से ज़्यादा वोट प्राप्त किए हैं। सन् 2019 के बाद से ही आदिवासियो ने हेमंत पर भरोसा दिखाया है। 2019 का विधान सभा और 2024 का लोकसभा हेमंत को जीता कर अधिवासियों ने बता दिया है की हेमंत पर वे कितना ज़्यादा भरोसा करते है। भाजपा के पास लोकसभा में वापसी करने का मौक़ा था और भाजपा ने अपनी पूरी कोशिश भी की लेकिन आदिवासी JMM के साथ ही बने रहे और भाजपा झारखंड में हार गई। 

भाजपा का परिवारवाद और भ्रष्टाचार वाला मुद्दा। 

हेमंत जब ज़मीन घोटाले में जेल गये थे तब भाजपा ने भ्रष्टाचार का मुद्दा बड़े ज़ोर में उठाया था। हेमंत के बाद उनकी पत्नी ने JMM की बागडोर संभल ली और प्रचार करने लगी। विधान सभा चुनाव के वक्त हेमंत की पत्नी कल्पना कहा भी प्रचार करती थी वहाँ खूब भीड़ इकट्ठा होती थी।इसलिए भाजपा ने भ्रष्टाचार के साथ परिवारवादी का भी मुद्दा बनाया था।लेकिन यह मुद्दा भी असर नहीं किया और कल्पना सोरेन विधानसभा चुनाव जीत गई थी। कल्पना और हेमंत के जोड़ी ने मिलकर काम किया हिसार JMM को काफ़ी फ़ायदा मिला भाजपा को हराने में। 

भाजपा के गठबंधित दलों का ख़राब प्रदर्शन 

भाजपा के साथ झारखंड कई कई अलग-अलग पार्टियाँ अलग-अलग जगहों पर लैड रही थी जैसे भाजपा के साथ जुड़ी पार्टीयाँ में ऑल झारखंड स्टूडेंट यूनियन 10 सीट पर JDU 2 सीटों पर और लोक जनशक्ति पार्टी (राम विलास ) 1 सीट पर लैड रहे थे जिसमें से सीट केवल JDU और लोक जनशक्ति पार्टी ने 1-1 सीटों पर जीत हासिल की बाक़ी सब हार गये।  

वही JMM में Congress, राष्ट्रीय जानता दल और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (ML) का गठबंधन था। और ये सभी Congress 30 सीटों पर, RJD 7 सीटों पर CPI(ML) 4 सीटों पर लैड रहे थे। हालाँकि Congress 9 सीटें, CPI(ML) 2 और RJD 1 सीट जीत गये और 10 सीटों पर गठबंधन के साथ आगे चले गये। दोनों गठबंधनों की तुलना करें तो जेएमएम के सहयोगी बीजेपी के सहयोगियों से साफ़ तौर पर आगे दिखते हैं.BJP नेता विनोद तावड़े पर नोट के बदले वोट का आरोप

Source Of Information :- BBC

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