Nepal :- दोस्तों, नेपाल को हर कोई हरियाली और शांति के लिए जानता है। परंतु इस बार Nepal का एक अलग अंदर देखने को मिल रहा है। जी हाँ, इस बार शुक्रवार 28 मार्च को Nepal में लोग रस्तों पर दंगा करते बाहर आये है। बताया जा रहा है की इसमें 2 लोगों की जान भी चली गई है। चलिए विस्तार से जानते है, आख़िर Nepal ऐसा क्या हुआ जो वहाँ के लोगो को रोड पर आकार प्रदर्शन करने को मजबूर कर दिया है।

Nepal में विरोध प्रदर्शन
दोस्तों, Nepal और भारत का एक-दूसरे के साथ काफ़ी अच्छा रिश्ता है। नेपाल के लोग बिना की सरकारी फ़ॉर्मिलिटी बिना वीसा के भारत में आ सकते है, ठीक वैसे ही भारत के भी लोग Nepal बिना की सरकारी हस्तक्षेप के नेपाल जा सकते है। भारत के लोग अक्सर नेपाल की शनि,हरियाली और सुंदरता देखने जाते है। परंतु इस बार Nepal में लोगो ने शुक्रवार को क़रीब 11:30 के आस-पास सरकार के विरुद्ध प्रदर्शन शुरू कर दिया था। इस प्रदर्शन में क़रीब 112 लोग घायल हो गये है, जिनके पुलिस, आर्मी और प्रदर्शनकारी भी शामिल है।
दरअसल, Nepal के पूर्व राजा ज्ञानेन्द्र शाह ने जब लोकतंत्र दिवस 19 फ़रवरी को Nepal के लोगो से मदद की अपील कि थी, तब से लोग उनके समर्थन में सदको पर उतर रहे है। Nepal की सरकार ने यह सब कंट्रोल से बाहर ना निकल जाए, उसके लिए वहाँ कर्फ्यू लगा दिया गया है, और आर्मी को भी देश में उतर दिया गया है। यह सब तब ज़्यादा बढ़ गया, जब भीड़ संसद की तरफ़ बैरिकेड को तोड़कर जाने लगी। इस बीच पुलिस और आर्मी उन्हें रोकने के लिये आगे आयी। जिससे दोनों गुटों में लड़ाई शुरू हो गई। इसमें लगभग 112 लोगों के घायल होने की खबर है, जिनमें आर्मी, पुलिस और प्रदर्शनकारियों के लोग भी शामिल है। इसमें कुल 2 लोगों की मौत हो गई है, जिनमें से एक मीडिया का कैमरामैन और दूसरा प्रदर्शनकारी था।

Nepal में प्रदर्शन से क्या नुक़सान हुआ ?
बता दें कि Nepal में प्रदर्शनकारियों ने प्रदर्शन के साथ-साथ देश का बहुत नुक़सान कर दिया है। काठमांडू पोस्ट ने बताया की प्रदर्शनकारियों ने 9 सरकारी वाहनों, 6 निजी वाहनों को आग लगा दी। इसके अलावा सार्वजनिक स्थानों को, होटल को, रेस्टोरेंट को और एक अस्पताल को काफ़ी ज़्यादा क्षतिग्रस्त किया है। इन सबसे ज़्यादा बड़ा नुक़सान 112 लोगो घायल हुए है और दो लोगों की मृत्यु हो गई है।
Nepal सरकार ने प्रदर्शनकारियों को रोकने के लिए क्या कदम उठाया ?
जब प्रदर्शन बढ़ते जा रहा था, तब नेपाल की मौजूदा सरकार ने वहाँ कर्फ्यू लगाने के साथ-साथ वहाँ आर्मी को उतार दिया। इसके अलावा वहाँ के पुलिस अधिकारियों ने प्रदर्शनकारियों पर आंसू बॉम्ब फेंके, साथ ही रबर बुलेट का भी इस्तेमाल किया गया है। सरकार ने कई प्रदर्शनकारियों को गुरफ़्तार भी किया है। फिल्हार्मोनिक स्थिति नाज़ुक बनी हुई है।
प्रदर्शनकारियों की क्या माँग थी ?
सन् 2008 में Nepal में राजतंत्र समाप्त कर वहाँ सरकार बनाई गई थी। इसके बाद वहाँ के राज ज्ञानेन्द्र सिंह अपना महल छोड़कर आम लोगो की तरह एक घर में ज़िंदगी व्यतीत करने लगे थे। आज के समय में वहाँ के लोग सरकार से नाखुश है। वहाँ के लोगो की माँग है की “पहले की तरह Nepal में राजतंत्र वापस लाया जाए और हिंदू राज्य भी घोषित किया जाए।”
प्रदर्शनकारियों और राजाशाही को वापस चाहने वालों ने दावा किया है की Nepal की जानता इन राजनेताओं से बिलकुल नाखुश है। राजनेताओं ने देश के हर काम में पॉलिटिक्स लॉ देते है। एक प्रदर्शनकारी ने कहा की “जब स्रोत ही इतना प्रदूषित हो तो पूरी व्यवस्था सड़ चुकी होती है। इसी कारण हमें राजतंत्र और राजा वापस चाहिए।”
FAQ
नेपाल में विरोध प्रदर्शन विभिन्न सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक कारणों से हो रहे हैं, जिनमें सरकार की नीतियों, महंगाई और बेरोजगारी जैसे मुद्दे शामिल हैं।
हाल ही में, नेपाल में सरकार के खिलाफ नीतिगत असंतोष, भ्रष्टाचार के आरोप और जनहित के मुद्दों को लेकर प्रदर्शन तेज हुए हैं।
नेपाल सरकार ने कुछ प्रदर्शनों को नियंत्रित करने के लिए सुरक्षा बलों की तैनाती की है और वार्ता के माध्यम से समाधान निकालने की कोशिश कर रही है।
आम जनता को यातायात बाधित होने, व्यापार प्रभावित होने और कभी-कभी हिंसा के चलते असुरक्षा महसूस होने जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।
अधिकांश प्रदर्शन शांतिपूर्ण रहे हैं, लेकिन कुछ स्थानों पर झड़पें और हिंसा की घटनाएं भी सामने आई हैं।
निष्कर्ष
दोस्तों, जिस प्रकार Nepal में राजतंत्र और राजा की वापसी के लिए लोगों ने प्रदर्शन किया है, उससे लगता है कि “वहाँ की सरकार ऐसा होने देगी ?” आपको क्या लगता है, क्या Nepal के लोगों को इस तरह प्रदर्शन करने से वहाँ की सर्जन मान जाएगी? यह भी ज़रूर पढ़ें :- म्यांमार में भूकंप आने की असली वजह वैज्ञानिकों ने पता लगा ली है।
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