RBI के हाल ही में नये गवर्नर चुने गये है जिनका नाम संजय मल्होत्रा (Sanjay Malhotra) है। जब से वे नए गवर्नर बने है तब से उन्हें कई परेशानियों का सामना करना पद रहा है जैसे की आर्थिक वृद्धि, मुद्रास्फीति और विनिमय दर स्थिरता के बीच संतुलन बनाए रखना। यह एक ऐसे परेशानी है जिसे पिछले गवर्नर शक्तिकांत दास अपने अंतिम कार्यकाल तक लैड रहे थे।
RBI के नए गवर्नर Sanjay Malhotra को क्या-क्या करना पड़ेगा ?
Sanjay Malhotra को सबसे पहले देश में जो डिजिटल धोखाधड़ी चल रहा है उसको रोकना होगा, उसके बाद जो बैंकों के ऋण को प्रभावित करते है उनके सुधार करना और जीतने भी खुदरा बिक्री जो ग़लत तरीक़े से हो रहे हैं उन्हें रोकना सबसे बड़ा चुनौती साबित होने वाला है।

America के चुनाव का भारत पर असर
बता दें कि जब से अमेरिका का चुनाव ख़त्म हुआ है और विजेता घोषित हुआ है तब से रुपया पर डॉलर का काफ़ी दबाव आया है और रुपया के मुक़ाबले डॉलर मज़बूत हुआ है, इसके साथ-साथ जो FI’s (Foreign investors) जिन्होंने इंडिया के शेयर बाज़ार में शेयर ख़रीदा था वो धीरे-धीरे शेयर बेच रहे है। इन सभी को देखते हुए सरकार ने कम दर के ब्याज दरों को बढ़ावा देना शुरू किया है।
केंद्रीय बैंकर के लिए, असंभव त्रिमूर्ति की अवधारणा इस विचार को संदर्भित करती है कि वे स्वतंत्र मौद्रिक नीति का पालन नहीं कर सकते, विनिमय दर का प्रबंधन नहीं कर सकते और पूंजी के मुक्त प्रवाह की अनुमति नहीं दे सकते।
जो लोग विदेशी मुद्रा के डीलर्स है उन्होंने बताया है की बीते सोमवार को रुपया कमजोर हुआ है जिस वजह से मंगलवार को भी कमजोर शुरू हो सकता है। वहीं RBI के नये गवर्नर Sanjay Malhotra ने तिमाही में अर्थव्यवस्था में कमजोरी को देखते हुए इस बार फ़रवरी में जो ब्याज दर है उनमें कटौती करने का विचार कर रही है, और अगर ब्याज डरो में कुछ भी कमी आयी तो ये RBI के लिए काफ़ी मुश्किल हो जाएगा।
Bank Of America ने RBI गवर्नर Sanjay Malhotra को बताया
दिसंबर 2024 की शुरुआत में Bank Of America की तरफ़ से एक नोट जारी किया गया था कहा Bank Of America के अर्थशास्त्री जिनका नाम Rahul Bajoriya है, उन्होंने RBI के “तीन-शरीर समस्या” के बारे में बताया था जो धीमी वृद्धि, मुद्रास्फीति का बढ़ना और कम दर के दबाओ से निपटता है।
RBI गवर्नर Sanjay Malhotra का “तीन-शरीर समस्या”
इस प्रक्रिया में जो बैंकों को जो अपेक्षित ऋण से जो घाटा होता है उसका प्रावधान की आवश्यकता शामिल है, जो की निचले स्तर में लोन देने की उनकी जो छमता है उसपर असर करेगा और भविष्य में किसी भी चूक से निपटने के लिये बेहतर स्थिति में रखेगा।
अब तक RBI ने जो बैंकों को लोन देने में और समय पर ना भरने वालो का जो ऋण देने वाले बैंकों को जो जोखिम रहता है उस जोखिम को भी कम करने का प्रस्ताव दिया था। ऐसा करके RBI ने बैंकों को परियोजना ऋण में सही तरह से हतोत्साहित किया था।
Online धोखाधड़ी
सरकार अभी भी जो कॉर्पोरेट में निवेश करने वाले है उनको ऋण और पैसों कि पूर्ति karne के लिए बाँको से ही दिलाती है। वहीं जो छोटे स्तर पर काम karne वाले लोग है, जैसे खुदरा पक्ष के लिए बैंकिंग प्रणाली ने डिजिटल लेवल पर अच्छा कदम उठाया है। जो छोटे पक्ष के लोग है वे ज़्यादातर बैंकिंग का काम online ही कर लेते है। वही बता दें की इसका दुष्प्रभाव भी पड़ा है।
Online Banking के कारण देश में ऑनलाइन धोखाधड़ी की संख्या भी काफ़ी बढ़ी है लेकिन वही बैंकिंग सिस्टम पूरी तरह से सुरक्षित है। यह ऑनलाइन धोखाधड़ी केवल विश्वास के वजह से हो रहा है, कहा लोगो को यह वीसवास दिला देते है की वे वाक़ई में जो वास्तविक बिलर है या सरकार के पास पैसे भेज रहें हैं, और फिर लोगो के साथ धोखाधड़ी हो जाता है।
RBI और Sanjay Malhotra पर दबाव बढ़ा है
बता दें कि जो देश के पुलिस अधिकारियों के जो साइबर सेल है वो डिजिटल धोखादड़ी हुई शिकायतों से भरे है, जिस कारण इन सभी Digital धोखाधड़ी को रोकने के लिये RBI और Sanjay Malhotra पर काफ़ी ज़्यादा दबाव है। इसके अलावा जो खुदरा क्षेत्र है जहां बैंकों द्वारा जो ग़लत तरीक़े से बीमा और अन्य उत्पादों की ग़लत बिक्री को भी रोकने का दबाव है। ये भी पढ़े :- IRCTC बंद होने वाला है कहीं आपने भी तो यहाँ से टिकट बुक नहीं किया ना एक बार चेक कर लें