Black Warrant: तिहाड़ जेल के भीतर एक ईमानदार संघर्ष की कहानी
“Black Warrant”, विक्रमादित्य मोटवाने और सत्यांशु सिंह द्वारा निर्मित सात-एपिसोड की एक नेटफ्लिक्स सीरीज़ है, जो दर्शकों को तिहाड़ जेल के भीतर की अनदेखी दुनिया में ले जाती है। अप्लॉज एंटरटेनमेंट के बैनर तले बनी इस सीरीज़ में एक ईमानदार जेलर के संघर्ष को दिखाया गया है, जो 1980 के दशक की भ्रष्ट और असंवेदनशील जेल व्यवस्था से लड़ता है।

Black warrant कहानी की पृष्ठभूमि
यह शो तिहाड़ जेल के भीतर एक युवा जेलर सुनील गुप्ता (ज़हान कपूर) के शुरुआती करियर की घटनाओं पर केंद्रित है। सुनील, जो अनिच्छा से इस पेशे में आता है, धीरे-धीरे तिहाड़ की कठोर वास्तविकता से रूबरू होता है। जेल की इस दुनिया में नियम अक्सर टूटते हैं, अपराधी खुलेआम घूमते हैं, और जेलर अपनी आंखें मूंदे रहते हैं।
सुनील गुप्ता को एक ऐसा किरदार दिखाया गया है जो नायक होते हुए भी विशिष्ट हीरो की छवि से बिल्कुल अलग है। न तो वह अतिमर्दाना है, न ही हर समस्या को हिंसा से हल करने वाला। बल्कि वह एक शांत, संयमी और साहसी इंसान है, जो व्यवस्था का हिस्सा होते हुए भी उसकी बुराइयों के खिलाफ खड़ा होता है।
ज़हान कपूर का प्रभावशाली अभिनय
ज़हान कपूर, जिन्होंने इससे पहले हंसल मेहता की फ़िल्म “फ़राज़” में अभिनय किया था, एक युवा जेलर के किरदार में पूरी तरह फिट बैठते हैं। उनकी कास्टिंग शो को एक अलग वास्तविकता और प्रामाणिकता प्रदान करती है। ज़हान ने सुनील के किरदार की घबराहट, अपराधबोध, और जिद को बेहतरीन ढंग से दर्शाया है। उनके साथ स्क्रीन साझा करने वाले राहुल भट, परमवीर चीमा और अनुराग ठाकुर भी अपने-अपने किरदारों में जान डालते हैं।
तिहाड़ जेल की अनदेखी दुनिया
Black Warrant केवल जेल में घटने वाली घटनाओं तक सीमित नहीं है। यह उस दौर की राजनीतिक और सामाजिक परिस्थितियों को भी गहराई से दर्शाता है। पंजाब में उग्रवाद, इंदिरा गांधी की हत्या, सिख विरोधी दंगे—इन घटनाओं ने कैसे जेल व्यवस्था को प्रभावित किया, इसे बड़ी खूबसूरती से पेश किया गया है।
शो में ‘बिकिनी किलर’ चार्ल्स शोभराज (सिद्धांत गुप्ता) और कश्मीरी अलगाववादी नेता मकबूल भट जैसे वास्तविक किरदार भी शामिल हैं। इन पात्रों को जोड़कर शो ने इतिहास की प्रमुख घटनाओं के साथ कहानी का संतुलन बनाए रखा है।
वास्तविकता से जुड़ी एक संवेदनशील प्रस्तुति
Black Warrant की सबसे बड़ी खूबी यह है कि यह बिना किसी सनसनीखेज़ दृश्य के भी अपनी गहरी नाटकीयता बनाए रखती है। यह शो जेल सुधारों की एक तीखी आलोचना करता है और दर्शाता है कि कैसे सुनील गुप्ता जैसे ईमानदार अधिकारी अपने सिद्धांतों पर टिके रहकर बदलाव लाने की कोशिश करते हैं।
शो में कैदियों के साथ जेलरों के संबंधों को बड़ी संवेदनशीलता से दिखाया गया है। सुनील, जो खुद एक सभ्य और मृदुभाषी इंसान है, कई बार अपने बॉस और सहकर्मियों से यह सुनता है कि उसे इस नौकरी के लिए ‘सख्त’ बनना होगा। लेकिन सुनील अपनी नैतिकता से समझौता नहीं करता।
तकनीकी रूप से उत्कृष्ट
सिनेमैटोग्राफर सौम्यानंद साही ने Black Warrant को एक शानदार विजुअल अनुभव में बदल दिया है। तिहाड़ जेल के हर कोने को इस तरह फिल्माया गया है कि दर्शक उसकी भयावहता को महसूस कर सकते हैं। शो की पटकथा सधी हुई है, जिसमें हर दृश्य का एक उद्देश्य है।
देखने लायक क्यों है Black Warrant?
अगर आप सच्ची घटनाओं पर आधारित, गंभीर विषयों पर बनी कहानियों के शौकीन हैं, तो Black Warrant आपके लिए एक बेहतरीन सीरीज़ है। यह एक ऐसी व्यवस्था की कहानी है, जिसे सुधार की उतनी ही जरूरत है जितनी इसके भीतर बंद कैदियों को।
यह शो केवल जेल के भीतर की कहानियों तक सीमित नहीं रहता, बल्कि भ्रष्टाचार, वर्ग भेद, राजनीतिक दखल और मानव अधिकारों जैसे कई महत्वपूर्ण मुद्दों को भी छूता है।
निष्कर्ष
Black Warrant एक ऐसा शो है, जो न केवल तिहाड़ जेल की कहानी सुनाता है, बल्कि एक ऐसे नायक की गहरी मानवीय यात्रा भी दिखाता है, जो अपनी ईमानदारी और सिद्धांतों से समझौता किए बिना हर दिन एक नई लड़ाई लड़ता है।
अगर आप अपराध, राजनीति और इंसान के साहस की अनकही कहानियों में दिलचस्पी रखते हैं, तो Black Warrant आपको जरूर देखनी चाहिए। ये भी ज़रूर पढ़ें :- Game you Changer Day-1 collection with advanced booking
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