Jaychandran Dies at 81: A Tribute to His Glorious Career

मुख्य रूप से मलयालम संगीत इंडस्ट्री में प्रसिद्ध गायक Jaychandran के पास भगवान जी द्वारा दिया गया एक अजब आकर्षण था जो उनकी आवाज़ के रूप में उन्हें मिला था। उनके द्वारा गये गये संगीत रोमांटिक संगीत लोगों के दिलों में अपनी अलग जगह बनाए बैठे है। उनका गुरुवार को त्रिशुर में स्थित एक अस्पताल में  ईशान हो हुआ है। 

गायक Jaychandran अपने भावपूर्ण गायिकी के लिए प्रसिद्ध है। इसके द्वारा गाया गाया सभी गाना लोगो के दिलों में उतर जाता था।उन्होंने अब तक मलयालम, हिन्दी, कन्नड़ और तमिल के गानों में कुल मिलाकर क़रीब 16,000 गानों में अपनी आवाज़ दी है। वे अपनी जादुई आवाज़ में लगभग छह दशकों से संगीत प्रेमियों के लिये अपनी आवाज़ में संगीत गायन कर मन मोह लेने वाले गायक पी. Jaychandran का गुरुवार के दिन निधन हो गया है। उनका निधन 81 वर्ष की आयु में हो गया है। 

Jaychandran Passed away from cancer
Image credit:- The Hindu

Jaychandran का निधन कैसे हुआ ?

सूत्रों से पता चला है की बीते कुछ समय से वह कैंसर जैसी ख़तरनाक बीमारी से जूझ रहे थे। Jaychandran ने क़रीब 16,000 गाने अपनी जीवन में गाये और कई पीढ़ियों को अपनी सुरीली आवाज़ से प्रभावित किया। उन्होंने संगीत की दुनिया की सीमाओं को पार करते हुए अलग-अलग भाषाओं में गाना गया, और भारत को अपने आवाज़ की ख़ासियत दिखाई। संगीत के मामले में उन्होंने उम्र की चुनौतियों को भी हरा कर अपनी आवाज़ में लगातार दुनिया को संगीत देते रहे। 

मलयालम इंडस्ट्री में Jaychandran ने अपने भावपूर्ण संगीत के माध्यम से काफ़ी प्रसिद्ध गायक बन गये थे, उनके द्वारा गाया गाया गाना लोगो के दिलों को चू जाता था। उन्होंने प्रेम संगीत, विरह संगीत और दर्द भरे गीतों में भी गाना गाया था, जिससे वे लोगो में काफ़ी ज़्यादा प्रसिद्ध हो गये थे। 

Jaychandran का जन्म 

उनका जन्म एर्नाकूलम में स्थित रविपुराम के प्रसिद्ध संगीतकार पिता त्रिपुणिथुर रवि वर्मा और माता सुभद्रा कुंजम्मा के घर पर हुआ था। Jaychandran का पालन-पोषण त्रिशुरा में हुआ था। उन्होंने कथकली, छेड़ना और मृंदगम के साथ-साथ कला ने उनमें शुरुआत के समय में जुनून भर दिया था। उन्हें स्कूल के समय में लाइट म्यूजिक सहित मृंदगम वादन के लिए भी उन्हें कई पुरस्कार मिले थे, जिसने उन्हें संगीत की तरफ़ खिंच लिया था। 

फ़िल्मों में Jaychandran के करियर की शुरुआत कहाँ से हुई थी ? 

बचपन से उन्हें गायन का शौक़ था, और उनकी ज़िंदगी का संगीत  यात्रा “कुंजली मारककर” फ़िल्म से पहले गायन की शुरुआत की थी। उनके जीवन का पहला गाना जो उन्होंने किसी फ़िल्म के लिए गया था, उसका नाम “ओरु मूलाप्पु मलयूमाई” था। यह गाना उन्होंने सन् 1965 में गाया था। वही फ़िल्म “कलितोझान” में उनके द्वारा गाया गाना जिसका नाम “मंज़लायिल मूंगीथोरथी” गाने ने उनकी करियर को ऊँचाई पर पहुँचा दिया था। इस गीत के बाद उन्होंने मलयाली लोगो का दिल जीतने वाले कई गीत गये। 

और कितने गायकों के साथ Jaychandran ने काम किया था ?

उन्होंने मलयाली संगीत की दुनिया में काफ़ी नाम कमाया था। Jaychandran ने ज़िंदगी में कई भाषाओं में गीत गाये थे, और कई अलग-अलग भाषा वाले अन्य संगीतकारों के साथ उन्होंने काम किया था, जिनमें एम.एस. बाबूराज, वी. दक्षिणमूर्ति, जी. देवराजन, के.राघवन, इलयाराजा, विद्यासागर, एम. एस. विश्वासराज, एम. जयचन्द्रन और ए.आर. रहमान शामिल है। 

Jaychandran को कितने पुरस्कार मिले थे ?

उन्होंने ज़िंदगी भर में कई भाषाओं में लगभग 16,000 गीत गाये थे, जिसके लिये उन्हें कई तरह के पुरस्कार से भी नवाना गया था। उन्हें जीतने भी पुरस्कार (Award) मिला था, वे सैम नीचे साँचीबद्ध किया गया है …..

उन्हें जे.सी. डेनियल पुरस्कार और कलैममणि पुरस्कार से नवाज़ा गया था, जिससे वे संगीत की दुनिया में और ज़्यादा प्रसिद्ध हो गये थे। उन्हें जीवन में पाँच केरल राज्य पुरस्कार, राष्ट्रीय पुरस्कार और कार बार तमिलनाडु राज्य पुरस्कार मिला था। 

शनिवार को अंतिम संस्कार। 

उनके परिवार में वे अपनी पत्नी ललिता और 2 बच्चे (लक्ष्मी और दीनानाथ (गायक) के साथ रहते थे। शुक्रवार के सुबह 8 बजे Jaychandran का पार्थिव शरीर को उनके निवास पर श्रद्धांजलि देने के लिए रखा गया था, उसके बाद क़रीब 10 बजे उनके पार्थिव शरीर को संगीत नाटक अकादमी में रखा गया था। उनका अंतिम संस्कार शनिवार को चेंदमंगलम में स्थित पालियाथहाउस में किया जाएगा। 

निष्कर्ष

मलयालम संगीतकार के रूप में प्रसिद्ध गायक Jaychandran का 81 वर्ष की उम्र में निधन हो गया है। unke पार्थिव शरीर का अंतिम संस्कार शनिवार को करने वाले है।ये भी ज़रूर पढ़ें:- Game Changer मूवी की पहले दिन कि कमाई कितनी रही ?

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