Omprakash Chautala Passes Away: End of an Era in Haryana

सन् 2013 में उन्हें दोषी पाने के बाद सरकार ने Omprakash chautala जेल भेज दिया था, जिसके बाद से ही इनकी पार्टी इण्डियन नेशनल लोकदल पार्टी का ख़त्म शुरू हो गया था। इस पार्टी के टूटने की सबसे बड़ी वजह पारिवारिक कलह थी। इण्डियन नेशनल लोकदल के टूटने के बाद सन् 2019 के चुनाव होने के पहले JJP का निर्माण हुआ था। 

Omprakash chautala निधन
Omprakash chautala का दुखद निधन हो गया है। उन्होंने 89 वर्ष की उम्र में आख़िरी सांस ली।

hariyana के 5 बार हरियाणा के मुख्यमंत्री और इंडियन नेशनल लोकदल (INL) के प्रमुख रहे Omprakash Chautala का शुक्रवार 20-12-2024 को गुरुग्राम में स्थित उनके आवास पर उनका निधन हो गया है। वे राज्य के सबसे प्रभावी राजनीतिक परिवारों में एल्स एक परिवार के मुखिया भी थे। उनकी मृत्यु 89 वर्ष की उम्र में हो गई है। लगभग पाँच दशकों तक Omprakash Chautala जी हरियाणा की राजनीति में सबसे प्रभावशाली व्यक्तियों की सूँची में से एक थे। 

Omprakash Chautala का जन्म 

माँ हरकी देवी और पिता पूर्व उप-प्रधानमंत्री देवी लाल के घर Omprakash Chautala का जन्म हुआ था। वे जीवन भर अपने पिता को देखकर ही बड़े हुए थे, जो की जीवन भर सरकार के आगे किसानों के मुद्दों को सामने लाते रहे। 

पिता देवी लाल का राजनीतिक कैरीअर 

उनके पिता देवी लाल अपने राजनीतिक जीवन में जनता दल के साथ रह कर 2 बार हरियाणा के मुख्यमंत्री बने थे। Omprakash chautala के पिता को सन् 1989 में उप-प्रधानमंत्री बनने का भी मौक़ा मिला था, जहां वे 1989 से 1991 तक उस पद पर कार्यरत रहे। 

पिता ने कुर्सी Omprakash chautala को कब दी ?

पिता देवी लाल ने अपनी मुख्यमंत्री की कुर्सी ख़ाली की जिसके बाद सन् 1989 में Omprakash chautala ने पहली बार 2 दिसंबर 1989 को कुर्सी की बागडोर संभली। उस समय पर वे विधायक भी नहीं थे तो उन्हें केवल सीट से उपचुनाव लड़ना पड़ा था। 

निर्दलीय उम्मीद्वार की हत्या का मामला 

सन् 1990 फ़रवरी 27 को मतदान कराया गया था, परंतु बूथ कप्चरिंग (बूथ में फ्रॉड) के चलते इलेक्शन कमीशन ने क़रीब 8 मतदान केंद्रों पर दोबारा मतदान कराया था। मतदान के कुछ समय पहिले ही निर्दलीय उम्मीदवार समिट सिंह की हत्या कर दी गई, जो काफ़ी चर्चा में बना रहा और संसद तक इस मुद्दे को उछाला गया था, जिसके चलते Omprakash chautala को अपने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफ़ा देना पड़ा था। 

नये मुख्यमंत्री बनारसी दास गुप्ता 

जब Omprakash chautala ने इस्तीफ़ा दिया था तब वहाँ के नये मुख्यमंत्री बनारसी दास गुप्ता बने थे।इसके बाद ओमप्रकाश चौटाला ने दरबा कलां सीट से एक बार फिर से उपचुनाव लड़ा जहां उन्हें जीत हासिल हुई, जिसके तुरंत बाद गुप्ता जी को मुख्यमंत्री के पद से हटा दिया गया था। गुप्ता की ने क़रीब 51 दिनों तक मुख्यमंत्री का पद संभाला था। 

गुप्ता के हटने के बाद Omprakash chautala ने दूसरी बार मुख्यमंत्री का पद हासिल किए थे। मेहम प्रकरण के कारण उस समय के प्रधान मंत्री वीपी सिंह जी ने एक बयान दिया था जिसमें कहा था कि इस हालात में ओमप्रकाश चौटाला को अपना पद छोड़ना देना ही उचित होगा। 

गुप्ता के हटने के बाद केवल 5 दिन में फिर मुख्यमंत्री पद छोडा 

gupta के क़रीब 51 दिन पद सम्भालने के बाद Omprakash chautala ने क़रीब 5 दिनों के बाद ही मुख्यमंत्री पद छोड़ना पड़ा था। जिसके बाद जानता पार्टी ने मास्टर हुकम सिंह को मुख्यमंत्री पद दे दी। जब 7 नवंबर 1990 को वी पी सिंह की सरकार गिरी और चंद्रशेखर प्रधानमंत्री बने थे, तब एक बार फिर से देवीलाल को वाहन का उप-मुख्यमंत्री बनाया गया था। 

हुकम सिंह का इस्तीफ़ा 

हुकम सिंह भी क़रीब चार महीने तक मुख्यमंत्री के पद पर बने थे फिर मार्च 1991 में हुकम सिंह ने भी मुख्यमंत्री पद से इस्तीफ़ा दे दिया। देवी लाल के आग्रह करने पर एक बार फिर से Omprakash chautala को मुख्यमंत्री के पद पर बैठाया गया। इस निर्णय ने उनकी पार्टी को अंदर से खोखला कर दिया और उनके कई विधायकों ने उनकी पार्टी छोड़ दी, जिस वजह से चौटाला सरकार गिर गई। 

Congress सरकार की हरियाणा में एंट्री 

जब Omprakash chautala की सरकार गिर गई थी तब 1991 में क़रीब दो महीनों के लिये हरियाणा में राष्ट्रपति शासनआगा दिया गया था, फिर कुछ दिनों बाद मतदान कराया गया जिसने कांग्रेस जीत गई और कांग्रेस के नेता भजनलाल हरियाणा के मुख्यमंत्री बन गये। 1996 के हरियाणा के चुनाव में हरियाणा विकास पार्टी (HVP) के प्रमुख नेता बंसीलाल ने भाजपा से गठबंधन कर हरियाणा में जीत गये और वहाँ अपनी सरकार बनाई। 

Omprakash Chautala चौथी बार मुख्यमंत्री बने 

भाजपा ने क़रीब तीन सालो के बाद HVP पार्टी से अपना समर्थन किसी कारण वापस ले लिया, जिस वजह से hariyana की सरकार गुड गई। जब यह सब हुआ तब तक देवीलाल ने जानता दल छोड़ अपनी ख़ुद की पार्टी INLD की स्थापना कर चुके थे। ओमप्रकाश चौटाला ने HVP पार्टी के कुछ विधायकों को अपने INLD पार्टी में शामिल कर सरकार बनाई और 24 जुलाई 1999 को Omprakash chautala चौथी बार हरियाणा के मुख्यमंत्री बने थे। 

INLD पार्टी का चुनाव रिजल्ट

सन् 2000 में हुए चुनाव में INLD पार्टी को हरियाणा में पूर्ण बहुमत से जीत बड़ी हुई। ये पहली बार था जब Omprakash chautala ने अपना 5 वर्षों का कार्यकाल मुख्यमंत्री पद पर पूरा किए। 

Omprakash chautala पर लगे आरोप 

सन् 2013 में उनपर भर्ती घोटाले में दोषी पाये जाने के बाद उन्हें जेल भेज दिया गया था। उन्हें इस घोटाले के लिये कोर्ट ने 10 साल की तिहाड़ जेल कि सजा सुनाई थी।सीबीआई की जाँच में पता चला था कि ओमप्रकाश चौटाला और उनके बड़े बेटे अजय चौटाला को 3,206 junior basic training (JBT) के सिक्षकों की भर्ती में भ्रष्टाचार के आरोप में दोषी ठहराया था। 

अजय चौटाला और Omprakash chautala कब रिहा हुए ?

बता दें कि ओमप्रकाश चौटाला और उनके बड़े बेटे अजय चौटाला पिछले साल ही अपनी सजा काट के जेल से रिहा हुए थे। सन् 2009 में इनकी पार्टी इनेलो पार्टी ने 90 में से क़रीब 31 सीटों पर जीत हासिल करके राज्य की मुख्य विपक्ष पार्टी बन गई थी। 

कुछ सालों बाद सन् 2014 के विधानसभा चुनाव में इनेलो की पार्टी ने 31 सीटो से नीचे खिसककर केवल 19 सीटों पर रह गई, और उस समय भाजपा ने क़रीब 47 सीटों पर जीत कर हरियाणा में अपनी सरकार बनाई थी। 

ओमप्रकाश चौटाला का परिवारीक झगड़ा 

सन् 2019 में चुनाव होने के पहिले Omprakash chautala के पारिवारिक कलह के वजह से INLD पार्टी में भी विभाजन हो गया और JJP का गठन हुआ था। JJP पार्टी का गठन चौटाला के पोते (अजय चौटाला के बेटे) दुष्यंत चौटाला ने किया था। अभी मौजूदा समय में JJP पार्टी का नेतृत्व ओमप्रकाश के बेटे अभय चौटाला कर रहे है। 

JJP पार्टी का भाजपा से गठबंधन 

सन् 2019 में हुए चुनावो में JJP ने क़रीब 10 सीटें जीत पायी, और उस समय भाजपा हरियाणा में दूसरी बार बहुमत सीट हासिल करने से चंक गई जिसके बाद भाजपा को JJP पार्टी के साथ गठबंधन करना पड़ा। JJP के प्रमुख दुष्यंत चौटाला ने उप-मुख्यमंत्री का पद हासिल करने में कामयाब रहे और उन्हें आबकारी और राजस्व जैसे महत्वपूर्ण विभाग नियंत्रण करने को मिला। ये भी ज़रूर पढ़ें :- राहुल गांधी पर संसद में हाथापाई करने के आरोप में FIR दर्ज

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