Shrikant Bolla: New judge assigned in shark tank

जीवन में कुछ लोग ऐसे होते हैं, जो अपनी कमियों को अपनी ताकत बना लेते हैं और दुनिया के सामने एक मिसाल पेश करते हैं। Shrikant Bolla ऐसी ही एक शख्सियत हैं, जिन्होंने नेत्रहीनता को अपनी राह का रोड़ा नहीं बनने दिया और न केवल एक सफल उद्यमी बने, बल्कि समाज के लिए भी एक प्रेरणा का स्रोत बन गए।

उनकी कहानी सिर्फ व्यक्तिगत जीत की नहीं, बल्कि सामाजिक बदलाव और दृढ़ संकल्प की भी है। आज वह न केवल बोलैंट इंडस्ट्रीज़ के संस्थापक और अध्यक्ष हैं, बल्कि लोकप्रिय रियलिटी शो “शार्क टैंक इंडिया” के जज के रूप में भी अपनी छाप छोड़ रहे हैं। इस ब्लॉग पोस्ट में हम Shrikant Bolla के जीवन, उनकी चुनौतियों, उपलब्धियों, और शार्क टैंक तक के सफर को विस्तार से जानेंगे।

Shrikant Bolla : new judge of shark tank
Image credit :- Times of India

Shrikant Bolla की प्रारंभिक जीवन: चुनौतियों से भरी शुरुआत

Shrikant Bolla का जन्म 7 जुलाई 1991 को आंध्र प्रदेश के मछलीपट्टनम जिले के सीतारामपुरम गाँव में एक साधारण किसान परिवार में हुआ था। जन्म से ही वह नेत्रहीन थे, जो उनके लिए और उनके परिवार के लिए एक बड़ी चुनौती थी। उस समय ग्रामीण भारत में अंधेपन को लेकर कई गलत धारणाएँ प्रचलित थीं। गाँव वालों ने उनके माता-पिता को सलाह दी कि इस बच्चे को जीवित न छोड़ा जाए, क्योंकि उनका मानना था कि एक नेत्रहीन व्यक्ति का भविष्य कुछ नहीं हो सकता।

  • सामाजिक बहिष्कार: समाज का यह नकारात्मक रवैया Shrikant Bolla के परिवार के लिए पहली बड़ी परीक्षा था। उन्हें ताने और अपमान सहने पड़े।
  • परिवार का अटूट विश्वास: उनके माता-पिता ने इन सुझावों को ठुकरा दिया और Shrikant को हर संभव प्यार और समर्थन दिया। यह समर्थन उनके जीवन का पहला मजबूत आधार बना।

यहाँ Shrikant Bolla का बचपन आसान नहीं था। उन्हें अपनी शारीरिक अक्षमता के साथ-साथ समाज के तिरस्कार का भी सामना करना पड़ा। लेकिन उनके भीतर कुछ करने की आग थी, जो आगे चलकर उनकी सफलता की नींव बनी।

शिक्षा का संघर्ष: बाधाओं को अवसर में बदलते हुए

शिक्षा हर इंसान का अधिकार है, लेकिन Shrikant Bolla के लिए इसे हासिल करना एक जंग की तरह था। जब उन्होंने स्कूल में दाखिला लिया, तो उनकी प्रतिभा जल्द ही सामने आई। वह पढ़ाई में हमेशा अव्वल रहे, लेकिन 10वीं कक्षा के बाद जब उन्होंने विज्ञान विषय चुनना चाहा, तो स्कूल प्रशासन ने उन्हें यह कहकर रोक दिया कि एक नेत्रहीन छात्र विज्ञान नहीं पढ़ सकता।

  • कानूनी लड़ाई: Shrikant Bolla ने इस भेदभाव के खिलाफ हार नहीं मानी। उन्होंने भारतीय शिक्षा प्रणाली के नियमों के खिलाफ कोर्ट में याचिका दायर की और छह महीने की लंबी कानूनी लड़ाई के बाद जीत हासिल की। वह देश के पहले नेत्रहीन छात्र बने, जिन्हें विज्ञान पढ़ने की अनुमति मिली।
  • शानदार प्रदर्शन: 12वीं कक्षा में Shrikant Bolla ने 98% अंक हासिल किए, जिसने उनकी मेहनत और प्रतिभा को साबित किया।

हालांकि, उनकी यह सफलता भी उन्हें भारत के शीर्ष इंजीनियरिंग संस्थान, IIT में दाखिला नहीं दिला सकी। IIT ने उन्हें यह कहकर प्रवेश देने से मना कर दिया कि वे एक नेत्रहीन छात्र की पढ़ाई का प्रबंधन नहीं कर सकते। यह उनके लिए एक बड़ा झटका था, लेकिन Shrikant Bolla ने इसे अपनी मंजिल का अंत नहीं माना। उन्होंने विदेशी विश्वविद्यालयों में आवेदन किया और स्टैनफोर्ड, बर्कले, और कार्नेगी मेलन जैसे संस्थानों के साथ-साथ मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (MIT) में दाखिला हासिल किया। वह MIT में पढ़ने वाले पहले अंतरराष्ट्रीय नेत्रहीन छात्र बने।

  • MIT में योगदान: Shrikant Bolla ने वहाँ ब्रेन एंड कॉग्निटिव साइंस और बिजनेस मैनेजमेंट की पढ़ाई की। साथ ही, उन्होंने नेत्रहीन छात्रों के लिए एक कंप्यूटर प्रशिक्षण केंद्र भी शुरू किया।
  • खेल में भी उत्कृष्टता: पढ़ाई के साथ-साथ उन्होंने ब्लाइंड क्रिकेट, अंतरराष्ट्रीय शतरंज, बेसबॉल, और तैराकी जैसे खेलों में भी हिस्सा लिया और राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बनाई।

बोलैंट इंडस्ट्रीज़: एक सपने का जन्म

MIT से पढ़ाई पूरी करने के बाद Shrikant Bolla के पास अमेरिका में नौकरी करने के कई आकर्षक प्रस्ताव थे। लेकिन उन्होंने अपने देश लौटने और यहाँ कुछ बड़ा करने का फैसला किया। 2012 में उन्होंने अपने सह-संस्थापक रवि मंथा के साथ मिलकर हैदराबाद में बोलैंट इंडस्ट्रीज़ की स्थापना की। यह कंपनी पर्यावरण-अनुकूल पैकेजिंग उत्पाद बनाती है और इसका उद्देश्य न केवल व्यापार करना, बल्कि समाज में बदलाव लाना भी था।

  • विकलांगों को सशक्त करना: बोलैंट इंडस्ट्रीज़ में अधिकांश कर्मचारी शारीरिक रूप से अक्षम हैं। Shrikant Bolla ने इन लोगों को रोज़गार देकर उन्हें आत्मनिर्भर बनाया।
  • पर्यावरण संरक्षण: कंपनी नगरपालिका कचरे और गंदे कागज को रिसाइकिल कर क्राफ्ट पेपर बनाती है और प्राकृतिक पत्तियों से डिस्पोजेबल उत्पाद तैयार करती है।
  • रतन टाटा का समर्थन: 2016 में मशहूर उद्योगपति रतन टाटा ने बोलैंट इंडस्ट्रीज़ में निवेश किया, जिसने कंपनी की विश्वसनीयता और विस्तार को नई ऊँचाइयों तक पहुँचाया।

आज बोलैंट इंडस्ट्रीज़ का सालाना कारोबार 150 मिलियन डॉलर (लगभग 1250 करोड़ रुपये) से अधिक है और यह 500 से ज्यादा लोगों को रोज़गार देती है। Shrikant Bolla ने इसे सिर्फ एक कंपनी नहीं, बल्कि एक सामाजिक मिशन बनाया।

Shrikant Bolla का शार्क टैंक इंडिया में जज बनने का सफर

Shrikant Bolla की कहानी इतनी प्रेरणादायक थी कि यह बॉलीवुड तक पहुँची। उनकी जिंदगी पर आधारित फिल्म “श्रीकांत” में अभिनेता राजकुमार राव ने उनका किरदार निभाया, जिसने उनकी लोकप्रियता को और बढ़ाया। लेकिन उनका असली प्रभाव तब देखने को मिला, जब उन्हें 2025 में “शार्क टैंक इंडिया” सीजन 4 में जज के रूप में चुना गया। यह शो भारत में उद्यमिता को बढ़ावा देने वाला एक मंच है, जहाँ उद्यमी अपने बिजनेस आइडियाज को निवेशकों के सामने पेश करते हैं।

  • शार्क टैंक में शामिल होने की घोषणा: Shrikant Bolla ने अपने इंस्टाग्राम पर इस खबर की घोषणा की। उन्होंने लिखा, “शार्क्स के झुंड में टिकने के लिए आपको खुद एक शार्क बनना पड़ता है। हाँ, मुझे शार्क टैंक इंडिया में शार्क बनने का मौका मिला।”
  • शो में योगदान: उन्होंने बताया कि सेट पर रहकर उन्हें एहसास हुआ कि सपने सिर्फ सोचने के लिए नहीं, बल्कि करने के लिए होते हैं। उनके लिए यह अनुभव नए उद्यमियों से मिलने और उनके इनोवेटिव आइडियाज को देखने का एक शानदार मौका था।
  • उद्यमिता पर विचार: Shrikant Bolla ने कहा, “शार्क टैंक ने भारत में उद्यमिता को एक नई दिशा दी है। यहाँ लोग पुरानी और नई समस्याओं को हल करने के लिए तैयार हैं।”

उन्होंने अपने साथी जजों जैसे अनुपम मित्तल, नमिता थापर, अमन गुप्ता, और जितेंद्र अदानी के समर्थन की सराहना की। Shrikant Bolla का शार्क टैंक में शामिल होना उनके जीवन की उस सोच को दर्शाता है कि बाधाएँ आपको रोक नहीं सकतीं, अगर आपमें कुछ करने का जुनून हो। उनकी मौजूदगी शो को न केवल प्रेरणादायक बनाती है, बल्कि यह भी दिखाती है कि एक सच्चा उद्यमी वही है, जो दूसरों के सपनों को भी उड़ान दे सके।

Shrikant Bolla से सीख

Shrikant Bolla का जीवन हमें कई सबक सिखाता है, जो हर उम्र और हर क्षेत्र के लोगों के लिए प्रासंगिक हैं। उनकी यात्रा से कुछ प्रमुख बातें:

  • अड़चनों को अवसर में बदलें: Shrikant Bolla ने अपनी नेत्रहीनता को कभी बहाना नहीं बनाया, बल्कि इसे अपनी ताकत बनाया।
  • शिक्षा की शक्ति: उनकी पढ़ाई के प्रति लगन बताती है कि ज्ञान ही वह कुंजी है, जो हर दरवाजा खोल सकती है।
  • सामाजिक जिम्मेदारी: बोलैंट इंडस्ट्रीज़ के जरिए उन्होंने न केवल खुद की सफलता हासिल की, बल्कि दूसरों के लिए भी रास्ते बनाए।

FAQ

Shrikant Bolla कौन हैं?

बता दें कि Shrikant Bolla एक नेत्रहीन उद्यमी हैं, जिन्होंने बोलैंट इंडस्ट्रीज़ शुरू की और शार्क टैंक इंडिया में जज बने।

Shrikant Bolla की कंपनी क्या करती है?

बोलैंट इंडस्ट्रीज़ पर्यावरण-अनुकूल पैकेजिंग बनाती है और विकलांगों को रोज़गार देती है।

Shrikant Bolla शार्क टैंक में कैसे आए?

उनकी प्रेरणादायक कहानी और उद्यमिता के कारण उन्हें 2025 में शार्क टैंक इंडिया सीजन 4 में जज चुना गया।

Shrikant Bolla की पढ़ाई कहाँ हुई?

उन्होंने MIT (अमेरिका) से ब्रेन साइंस और बिजनेस मैनेजमेंट की डिग्री ली।

Shrikant Bolla से क्या सीख मिलती है?

उनकी कहानी सिखाती है कि मेहनत और आत्मविश्वास से हर मुश्किल पार की जा सकती है।

निष्कर्ष

Shrikant Bolla आज एक उद्यमी, परोपकारी, और अब शार्क टैंक इंडिया के जज के रूप में लाखों लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं। उनकी कहानी हमें यह विश्वास दिलाती है कि अगर मन में कुछ करने की ठान ली जाए, तो कोई भी बाधा बड़ी नहीं होती। वह न केवल अपने सपनों को हकीकत में बदले, बल्कि दूसरों को भी ऐसा करने के लिए प्रेरित कर रहे हैं। शार्क टैंक इंडिया में उनकी मौजूदगी इस बात का प्रमाण है कि सच्ची सफलता वही है, जो दूसरों को भी आगे बढ़ने का मौका दे। ये भी हैरी पढ़ें :- भारत को मिला एक और नया शतरंज चैंपियन। जानिय इनकी पूरी कहानी विस्तार से।

तो क्या आप भी Shrikant Bolla की तरह अपने सपनों को सच करने के लिए तैयार हैं? उनकी कहानी से प्रेरणा लें और अपने विचारों को हकीकत में बदलें, क्योंकि जैसा कि उन्होंने कहा, “अपने आइडिया को सिर्फ सोचें नहीं, उस पर काम करें, वरना कोई और कर लेगा!”

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